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आज कल हर व्यक्ति पर एक फितूर सा सवार हो गया है,की लोग उसे देखें चाहे इसके लिए उसको कोई तमाशा करना पड़े या फिर खुद को ही तमाशा बनाना पड़े.उसकी साडी मेरी साडी से सफ़ेद कैसे,उसकी गाडी मेरी गाडी से लम्बीकैसे ,उसकी कोठी मेरी कोठी से ऊंची कैसे.एक से बढ़ कर एक ,तेरे नहले पर मेरा दहला,चाहे कोई भी क्षेत्र हो हर व्यक्ति अपने को दूसरे से बढ़ कर दिखाने और दूसरे को नीचा दिखाने की फ़िराक में है.बात प्रतियोगिता की नहीं है बलिक अंधी होड़ की है .
कार चाहे लम्बी हो या छोटी सवारी तो पांच ही आती हैं. पर आज देखिये सिर्फ एक एक सवारी एक लम्बी से लम्बी गाड़ी में बैठ कर जा रही है,सड़क पर जाम लग रहे हैं कोई परवा नहीं,पेट्रोल फुंक फुंक कर मंहगा तो ही रहा है,वातावरण को भी प्रदूषित कर रहा है कोई परवाह नहीं.
आपका घर कौन से सेक्टर में है,आपका बच्चा कौन से स्कूल जाता है इससे आपकी हैसियत का पता चलता है.गर्मियों की छुट्टियों में आपने कौन कौन से देश का भ्रमण किया,शौपिंग के लिए आप कौन से माल में जाते हैं दुबई गए कि नहीं .अगर नहीं तो आप डींग किस बात कि मारेंगे.
आपके कपडे, जूते,गहने,अक्केस्स्रिएस किस ब्रांड कि हैं -पियरे कार्दीन,जिम्मी छू,गुच्छी क्रिस्टिन डिओर ,आपकी घडी,टग हूएर,ओमेगा,या रोलेक्स कि है या नहीं.आपने कितने सोलटैर पहने हैं .
पहले ब्रांड कि स्लिप शर्ट के या पैंट अन्दर की तरफ छुपा कर लगाईं जाती थी परन्तु अब वो चीख चीख कर ब्रांड की घोषणा करती है जेब पर या आस्तीन पर या फिर और किसी दूर से ही दिखाई पड़ने वाली जगह पर लगी कहती है देखो मुझे देखो .
आपका फ़ोन कौनसी ब्रांड का है उसमे क्या क्या फीचर हैं.चाहे आपको चलाना आये या न आये.पर लेना मेहेंगे से मंहगा ही है.सारा दिन बच्चे स्कूल में ये ही बात करते हैं की उनके पास क्या क्या है और अगर आप के पास नहीं है तो माँ बाप से हठ कर मंगवाओ .पढाई लिखाई तो गयी तेल लेने .
बात सिर्फ जूतों ,कपड़ों,घडी,फ़ोन,कार,घर और स्कूल तक ही सीमित नहीं रही.ये तो आम लोगों के शगल हैं.एक नयी होड़ चल पड़ी है औरत हो या मर्द सब अपने शरीर का प्रदर्शन करना चाहते हैं .गंजी और बरमूडा से शुरू हुए पुरुष अब छोटी से छोटी अन्तःवस्त्र में नज़र आते हैं,मोडलिंग और एक्टिंग के लिए तो निर्वस्त्र तक होने से गुरेज़ नहीं.शाहरुख़ खान ६ पैक दिखाते हुए टब से निकल कर झरने में डांस करते हैं तो दुसरे एक्टर भी ६ से ८ पैक बनाते और दिखाते हैं.हीरोइनों की बात तो छोड़ ही दीजिये.पहले डांस और कैबरे के लिए हेलेन ,मधुमती,रानी,या बेला बोस जैसी अलग ही डांसर होती थी और उनकी भी यही कोशिश होती थी की लोग उन्हें शरीफ समझें पर आजकल तो पूनम पण्डे जैसी लड़कियां मैच जीतने पर निर्वस्त्र होने की घोषणा कर रातों रात नाम कमा लेती हैं(बदनाम हुए तो क्या नम्म न होगा की तर्ज़ पर )पुराने ज़माने की हीरोइने(वहीदा,नंदा, मीना कुमारी,वैजन्ती माला,,माला सिन्हा,आशा पारीख इत्यादि साडी पहन ,सर पे पल्लू दाल कर पार्टिओं में जाती थी ताकि शराफत दिखे ,टू पीस बिकनी समाचार बन जाती थी पर आज कल तो बिचारी डांसर्स का काम ही छुट गया है हमारी नयी हीरोइने तो सब कुछ खुद ही कर लेती हैं आयटम डांस करना तो उनके लिए फखर की बात है कटरीना ,करीना ,बिपाशा,मलाईका और भी अनेक कम से कम कपड़ों में ज़यादा से ज्यादा लटके झटके दिखा सकती हैं.
और हीरोइनों की ही बात क्यों करें गृहणियां और समाज सेवी महिलाएं भी पेज ३ पर जगा पाने के लिए ,मिनी,मिक्रो मिनी,और अल्ट्रा मिनी कपडे जो ऊपर से नीचे की तरफ और नीचे से ऊपर की तरफ खिसकते जा रहे हैं .देखो मुझे देखो.एक बार.बार बार,हज़ार बार , देखने की चीज़ हूँ.भाई.
और कई बार तो हद तब हो जाती है जब लोगों की दिखावे की हसरत इतनी बढ़ जाती है की वो अपनी अंगूठी दिखाने के लिए अपने घर को ही आग लगा देते हैं और अंगूठी वाली ऊँगली से इंगित कर कहते हैं देखो भाई वो मकान जल रहा है.
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