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मेरा इक छोटा सा घर है,
उसमे है इक नन्ही बगिया,
बगिया में इक छोटी क्यारी
क्यारी में सुंदर फुलवारी.
रंग रंग के फूल हैं उसमे,
फूलों पर मंडराती तितली,
गुन गुन गुन,गाते हैं भँवरे
डाली डाली फुदक रही है,
इक नन्ही सी चिड़िया प्यारी.
मैंने जब ऊपर को देखा,
बादल के टुकड़ों संग,सूरज
आंख मिचोनी खेल रहा था
आसमान में इन्द्रधनुष था
अपने सातों रंग बिखेरे
लाइ धुप दोपहर तीखी ,
मैं घर के अंदर जा दुबकी
संझा को फिर पवन चली जब
बाहर जा बच्चों संग खेली,
रात हुई-संग माँ के लेती
माँ से पूछा– बतलाओ माँ
रंग दिए किसने फूलों को,??
इतने सुंदर– इतने प्यारे
पंख दिए किसने तितली को ??
भँवरे को किसने सिखलाया
गुन गुन कर रस फूल का पीना ??
चिड़िया को किसने सिखलाया
ऊंचा उड़ना और चहकना ??
सुबह सवेरे आकर सूरज
मुझको रोज़ जगा देता है
और रात को चंदा मामा
मीठी नींद सुला देता है.
क्यों दिन रंगों वाला होता.
रात सितारों वाली होती ??
बतलाओ माँ –बतलाओ ना
माँ बोली ओ मेरी गुडिया
इन सब के पीछे इक शक्ति
जिसका कोई रंग नहीं है
रूप नहीं,आकार नहीं है
देख नहीं सकते हैं जिसको
कहते सब उसको इश्वर
और करते हैं उसकी भक्ति.
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