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तलाशे सुकून.(एक ग़ज़ल)

poems and write ups
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जी में आता है-तेरी आग़ोश में मेरा सर हो.
मेरी जुल्फों को सहलाएं ख़रामा, उँगलियाँ तेरी
और पा के सुकून पलकें मेरी मुंद जाएँ- आहिस्ता से
या फिर छिपा लूं -तेरे सीने में चेहरा अपना
अपने घेरे में जकड़ लें मुझे बाहें तेरी.
मिल के आँखों से तेरी झुक जाएँ मेरी आँखें
राज़े दिल फिर भी मेरा तुझ पे अयाँ हो जाए
फ़िराक के ख्याल से जब भी आँख नम हो मेरी.
सोख ले नर्म लबों से तू अश्क मेरे बहते हुए
पर-ये चाहतें ,ये हसरतें तम्म्नाएं तो होती हैं
सिर्फ जी को जलाने के लिए ,इश्क के मारों को
मिलता ही नहीं किसी सूरत में सुकून
जो चाहता है जी हकीकत में नहीं होता.

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