- 110 Posts
- 201 Comments
हाँ– माँ तो हूँ— मैं तुम्हारी.
वोही भारत माँ-जो थी कभी
शस्य श्यामल-फुल्ल कुसुमित
सुजला सुफला -हिरन्यगर्भा
था जिसे अभिमान-वो है वीर प्रसवा
आज हूँ लाज्जित कि- मैं हूँ -माँ तुम्हारी.
न मुग़ल शासक ,न इंग्लिश ,न
कोई और भी आक्रान्ता
तोड़ पाए थे मुझे , न मेरा शीश ही झुका सके
वो थे परदेसी,जिन्ह्नोने , भर के जी लूटा मुझे
तुम तो अपने हो मेरे – मेरी ही रक्त मज्जा
से बने, क्यूँ तुमने भी मेरा शोषण किया
दूध तो पीया ही मेरे वक्ष से ,पर निचोड़ा
रक्त ,भी तन से मेरे- मेरे पुत्रो ज़रा देखो कि
तुमने मेरी आज ये कैसी दशा की
माया, सिर्फ माया और माया
इससे आगे क्यूँ नज़र तुमको
नहीं कुछ और आया
रेत ,पत्थर,कोयेला, हीरा
न मानिक, कुछ नहीं छोड़ा
सभी कुछ जेब में ,अपनी भरा.
फोड़े परबत ,सोखे निर्झर
मोड़ी नदियाँ, पेड़ काटे ,फाड़ डाला
अपने हाथों से– मेरा आँचल हरा.
अब नहीं है मुझमे ताकत,
तुम्हें मैं, और अब पोषित करूँ
खोखली कर दी है तुमने मेरी काया
वो जो आज़ादी पायी थी जतन से
इतने बलिदानो के बाद
आज खतरे में है संभल जाओ ज़रा
ऐ मेरे बेटो, उतारो लोभ का चश्मा
अपनी आँखों से,और देखो-तुम्हें
लालच तुम्हारा, ले के आया है कहाँ
सुनो मैं हूँ भारत देश- हूँ तो मैं तुम्हारी माँ.
वोही माँ- जो थी कभी शस्य श्यामल
फुल कुसुमित वीर प्रसवा
आज क्यूँ बंजर हुई???
सुजला सुफला
शस्य श्यामलअ
Read Comments