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स्वप्न इक देखा है मैंने- तेरे लिए ऐ देश मेरे

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स्वप्न तो देखे बहुत
तेरे लिए -ऐ देश मेरे
देश मेरा हो जहाँ में-
इक अनोखा-सबसे निराला
हैं बहुत से धर्म इसमें
हैं बहुत से वर्ण इसमें
और बहुत सी जातियां
स्वप्न मेरा तो यही
हर धर्म केवल- देश धर्म
हर वर्ण केवल-देश वर्ण
हो कोई हिन्दू या मुस्लिम
सिख, ईसाई,बौध हो
या फिर के जैनी
सब मनाएं धर्म अपना
पर देश धर्म सर्वोपरि.
हैं बहुत भाषाएँ इसमें
और हजारों बोलियाँ
पर दिलों की बात समझें
और न मारें बोलियाँ.
हर नागरिक तत्पर सदा
हर इक की सेवा में रहे
स्त्रियों को ,हेय दृष्टि
से ,कभी देखे न कोई
और बुजुर्गों का घरो में
यथोचित सम्मान हो
बेटा हो या फिर के बेटी
प्यार से दोनों पलें
बच्चा बच्चा देश का
शिक्षा का अधिकारी बने
भीख न मांगे कोई भी
हाथ फैलाये हुए
कर्म के अनुसार ही
सबके लिए अनुदान हो
प्रेम के लिए युवा को
सजा मौत की न मिले
फूलें फलें सुख से रहें
पूरे सभी अरमान हों
नदियाँ निर्झर पर्वत
सागर और चराचर
सब सुरक्षित हों यहाँ
प्राकृतिक सम्पदा का
कहीं अनुचित दोहन न हो
शीशे की तरह साफ़
हर घर, गली- कूचा रहे
पंछी चेह्कें फूल मेहकें
गुलशन सभी गुलज़ार हों
हो धुरंधर कलम का
या फिर स्वेद से भीगा
श्रमिक- इस देश का
घर भरा धन धान्य से
उसे निज कार्य पर अभिमान हो
खेत में लहलहायें फसलें
कृषक के चेहरे पर मुस्कान हो
हर युवक प्रहरी देश का जैसे
तैनात सीमा पर- जवान हो.
होली दिवाली ईद क्रिसमस,
या कि हो गुरु परब फिर
हो कोई त्यौहार मिलजुल कर
मनाएं–सब उन्हें
हो नहीं अलगाव ,सब प्रेम
से हिलमिल रहें
कर्त्तव्य पहले हो सदा
फिर बाद में अधिकार हो
चाहे हो कोई धर्म ,भाषा
सभी से -प्रेमवत व्यवहार हो
नागरिक इस देश का सिर्फ
स्वप्न द्रष्टा न रहे.
वो उठे जागे इस स्वप्न को पूरा करे
जो कि देखा है सभी ने
तेरे लिए ऐ देश मेरे

नागरिक इस देश का

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