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हिंदी या हिंगलिश!

poems and write ups
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माँ प्लीज़ मेरी शर्ट प्रेस करदो! अरे माँ प्लीज़ थोडा जल्दी करदो न मैं पहले ही लेट हो रही हूँ!ओ माय गॉड इतनी जल्दी नौ भी बज गए!ट्रेन तो निकल जायेगी मेरी ,टाइम पर तो पहुँच ही नहीं पाऊंगी! आजकल बोल चाल में तो ऐसी ही हो गयी है हिंदी ,हिंदी और इंग्लिश का मिश्रण यानि हिंगलिश!हिंदी के कट्टर समर्थकों को इस पर कड़ी आपत्ति है !पर बोल चाल की भाषा तो बोलचाल की भाषा ही होती है जिसको जैसे सुविधा लगती है है वैसे ही बोल लेता है निहितार्थ तो अपनी बात दूसरे व्यक्ति तक पहुँचाना है.जब सभी प्रयुक्त होने वाली वस्तुओं का वैश्वीकरण होचुका है तो भाषा ही क्यूँ पीछे रहेगी !वैसे ये सिर्फ हिंदी के साथ ही तो नहीं हो रहा है सभी भाषाओँ का एक दुसरे में घालमेल हो रहा है क्यूंकि हम अब अपने गाँव ,शहर,राज्य और देश की सीमाओं में बंधे हुए नहीं रह गए हैं आज सीमायें धूमिल हो गयी हैं लोग एक दुसरे की वेशभूषा ,खान पान रहन सहन और संस्कृति को अपना रहे हैं जो उनके मनको भाती है!तो भाषा को ही क्यूँ बाँधा जाए क्यूँ उसे नीरस और बेरंग रहने दें! और हिंदी ने ही कौनसा विदेशी शब्दों को वैसा रहने दिया है जैसे वो वहां बोले जाते हैं जहाँ के वो हैं.हमने भी उनका हिन्दीकरण कर दिया है !अपनाना इसे ही कहते हैं एक दुसरे के रंग में रंग जाना ,हॉस्पिटल अस्पताल हो गया है और टाइम को टैम बोलते हैं ,not to pay को नाटूपे बोला जाता है और ड्राईवर डेलावेर और डॉक्टर डागदर कहलाने लगता है !और मालियों ने तो कमाल ही कर दिया है ऐसे ऐसे नाम दिए हैं फूलों को की बस पूछो मत कैलेंडुला को कर्ण डोला और candy tuft को चांदी टप ,ऐस्पैरागस को परकास बोलते हैं !और भी नजाने कौन कौनसे इंग्लिश शब्दों की टांग तोड़ के बैठे हैं हम ! हिंदी समर्थकों को घबराने ,डरने या हतोत्साहित होने की कोई आवश्यकता नहीं है क्यूंकि इंग्लिश में भी बहुत से शब्द हिंदी के आचुके हैं –शब्दकोष में भी!और आप तो जानते ही हैं की भाषा समय के साथ देश काल के साथ बदलती रहती है बहुत से शब्द प्रचलन में आते रहते हैं बहुत से विलुप्त होते रहते हैं इंग्लिश भी वैसे नहीं बोली और लिखी जारही जैसे वो शेक्सपियर के ज़माने में बोली जाती थी या लिखी जाती थी! बहुत सी और भी भाषाओँ ने समृद्ध किया है इंग्लिश को और भाषा वही जीवित रहती है जो समय के साथ बदलती है रुढ़िवादी नहीं होती !कठिन और क्लिष्ट और अपने आप में सीमित रहती है वो भी ग्रीक ,लैटिन और संस्कृत की तरह आम लोगों लिए मृत हो जाती है और इतिहास में समां जाती हैं !

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