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किसी भी आयोजन का औचित्य क्या हो सकता है ?? अधिकतर कोई ख़ुशी या उपलब्धि दूसरे लोगों के साथ साझा करना !ऐसा जब हम ख़ुशी में करते है हैं तो वो कई गुना बढ़ जाती है और जब हम दुःख में करते हैं तो वो कई गुना कम हो जाता है ! जब हम स्वतंत्रता दिवस,गणतंत्र दिवस,होली, दीवाली,ईद, शहीदी दिवस मना सकते है तो हिंदी दिवस क्यूँ नहीं ! हिंदी समर्थकों का कहना है कि अधिकतर लोग हिंदी दिवस इंग्लिश में मनाते हैं भाई आप हिंदी बोलिए लिखिए कौन मना करता है लेकिन इतने भी सख्त मत बनिए कि एक आध शब्द किसी दूसरी भाषा का आनेपर रुष्ट हो जाएँ !वैसे हिंदी या देवनागरी भी तो संस्कृत से ही उपजी है बहुत से देशज शब्द अपने में समाहित करके, और भाषा वो जीवित रहती है जो देश, काल और आवश्यकता के अनुसार बदल जाती है ,जो नित नयी होती रहती है अपने स्वरुप को बदल बदल कर जैसे कोई सुंदर युवती नए परिधान में और भी मोहक लगे नित नयी सी ! अब अगर आपत्तियों पर नज़र डालें तो पायेंगे कि सब से बड़ी आपत्ति यही होती है कि हिंदी को राज भाषा का दर्ज नहीं मिला,सबसरकारी काम काज इंग्लिश में होता है! जहा तक मैंने हिंदी और इंग्लिश कि सरकारी पपत्र पढ़ें है दोनों को समझ पाना बराबर ही कठिन है क्यूंकि उनमे कुछ शब्द और वाक्य समझ से इतर होते हैं पर हमारे ऊपर ऐसी कोई पाबंदी तो नहीं है कि हम अपना प्राथना पत्र हिंदी में नहीं दे सकते ! लेकिन ये तो हमारी इच्छा पर ही निर्भर है न यदि हम ही नहीं चाहते तो सरकार क्या कर सकती है! हम कोई भी भाषा किसी पर थोप नहीं सकते अगर केरल वाले मलयालम बोलना और लिखना चाहते हैं तो यह उनका अधिकार है एक गणतंत्र में सब लोगों को अपनी राय रखने और उसे मानने का हक़ है और ये भी हक़ है कि वो अपनी मांग को सरकार से मनवाने कि कोशिश भी करे !लेकिन आज तो हिंदी का महत्व काफी बढ़ गया है !दूरदर्शन और फिल्मों का तो हिंदी के प्रचार और प्रसार में महता योगदान है! पूरे विश्व में मान्यता प्राप्त सदी का महानायक अमिताभ बच्चन पूरे जोश खरोश के साथ पूर्ण हिंदी में बात करता है और पूरे KBC को हिंदी के कन्धों पर उठा कर सरपट दौड़ लगाता है और प्रथम स्थान प्राप्त करता है प्रतिभागी सामान्य ज्ञान के साथ हिंदी भी सीखते है ! “अदालत” के वकील साहिब रोनित रॉय क्लिष्ट हिंदी में ही वार्तालाप करते हैं सबको अच्छी तरह समझ आता है .” वाह वाह क्या बात है” जिसमे कि हिंदी के कवियों को आमंत्रित किया जाता है सच मानिये कि बहुत ही उत्तम और लोकप्रिय कार्यक्रम है !हिंदी फ़िल्में विश्व भर में सब से ज्यादा बनाई और देखी जाती हैं तो निश्चित ही है कि उसमे हिंदी बोलने वाले कलाकार काम करेंगे ,जिन को नहीं आती उन्हें सीखनी ही होती है! हिंदी समाचार वाचकों ,हिंदी उदघोषकों और हिंदी कलाकारों की आवश्यकता और मांग बढती ही जारही है! ये सत्य है कि अभी भी हमारे देश में इंग्लिश का बोलबाला है ! लेकिन इसमें कमी हमारी है क्योंकि हम अपने बच्चों को इंग्लिश माध्यम के स्कूलों में पढ़ाते हैं! ! जहाँ भी हम लोगों को अपने ज्ञान और रुतबे से प्रभावित करना चाहते हैं इंग्लिश में बोलने लगते हैं!!लेकिन मातृभाषा तो मातृभाषा है खेल खेल में ही आजाती है ! फिर भी एक सुखद सत्य है कि हिंदी की मांग और महत्त्व इन दिनों में बढ़ा ही है हिंदी में बहुत से नए समाचारपत्र और पत्रिकाएं प्रकाशित हो रहे ! है इसके अतिरिक्त हिंदी ब्लॉग्गिंग भी इन्टरनेट पर बेहद लोकप्रिय होता जारहा है ! चाहे स्क्रिप्ट रोमनहो हम अपने विचार हिंदी में ही व्यक्त करते हैं ! तो मेरे विचार में तो हिंदी के अस्तित्व को कोई भी खतरा या भय नहीं हैयह दिन दूनी और रात चौगुनी उन्नति करेगी और जैसे हम अपना जन्म दिवस और वर्ष गांठ मनाते वैसे ही हिंदी दिवस और पखवारा मनाये ,उत्तम लेखकों ,कवियों और विचारको को सम्मानित करें उनसे विभिन्न आयोजनों में मिलें उनके विचार जाने! अपनी भाषा को प्रसारित और प्रचारित करने के लिए नयी तकनीके निकालें ताकि हिंदी में टंकण उतना ही सरल हो जितना की इंग्लिश में,हिंदी में हम विज्ञानं को भी भली प्रकार समझ सके ! अपनी भाषा में नए प्रयोग करें रुढिवादिता छोड़ नए शब्द अपनाएँ और हिंदी को समृद्ध करें ! बच्चे का पहला स्कूल घर ही होता है वाही पर हम उसमे अपनी मातृभाषा के लिए प्रेम का बीज बोयें ताकि जब वो बड़े हों तो उनके मन में हिंदी का वृक्ष लहलहा रहा हो! और हम नित्य ही हिंदी दिवस मनाएं
एक शेर याद आता है ” हुआ चमन में हुजूमें बुलबुल किया जो गुल ने जमाल पैदा ,कमी नहीं कद्रदान की अकबर करे तो कोई कमाल पैदा ” सो मेरी हिंदीदानो से प्राथना है कि हिंदी में इतनी शोभा ले आयें कि लोग इसकी ओर खिंचे चले आयें.
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