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क्या होगा सांड पिता का——
आज कल जिसे देखो गौ माता के गुण गाए जा रहा है,वो लोग भी जो गौओंको दुहने के बाद उसे घर से बाहर निकाल देते हैं जिससे वो कूड़े में मुंह मारने के लिए मजबूर हो जाती हैं और न जाने क्या क्या गंद बला खा कर पेट भरती हैं ,वो कहते है की गौ उनकी माता है और उसे पूजा जाना चाहिए ,चलिए मान लिया की गऊ दूध देती है और उसके मूत्र से दवाएं बनती हैं और मरने के बाद उसका चमड़ा ही काम आ जाता है जूता गांठने के लिए जबकि बेचारा सांड यूँही इधर उधर बौराया सा घूमता रहता है ,सडकों के किनारे ,पेड़ की छाओं तलाशते उसके नीचे मुंह लटकाये खड़े हुए हुए बिचारे सांड अक्सर ही नज़र आजाते हैं.,अपनी किस्मत पर लम्बे लम्बे आंसू टपकाते ! जबकि गऊ रक्षा ,गऊ संवर्धन ,गऊ वध निषेध ,एक राष्ट्रिय मुद्दा बन चुका है और रोज़ इस विषय पर रेडियो ,टीवी और समाचार पत्रों में इस पर गरमा गरम बहस होती है ,बिचारे सांड पिता को कोई नहीं पूछता ! एक ज़माना था उनकी भी पूजा होती थी ,जहाँ से वो गुज़रते उनका तिलक किया जाता, आरती उतारी जाती , परात में गेहूँ ,चने और गुड परोसा जाता, पर आज तो स्थिति बदल गयी है लोग इन्हें देख कर डर जाते हैं ,इन्हे अब एक आफत की तरह देखा जाता है क्यूंकि ये झुंडों में खड़े होते हैं ,इनकी संख्या बढ़ती जारही है,कई बार आपस में लड़ पड़ते हैं और कोई न कोई इनकी चपेट में आकर अपनी जान से हाथ धो बैठता है या फिर घायल हो जाता है ,और तो और ये दूध भी नहीं देते !फिर इनका क्या उपयोग ?? पहले ज़माने में तो इनको बंध्या करके बैल बना लिया जाता था पर अब ट्रकटरों द्वारा खेती होती है इसलिए बैलों की ज़रुरत नहीं है और सांडों की संख्या बढ़ती जा रही है वैसे भी गौओं का गर्भाधान कृत्रिम रूप से कराया जाता है जिसमे संरक्षित शुक्राणुओं का प्रयोग किया जाता है एक टेस्ट ट्यूब से संकों गौओं का गर्भाधान करवाया जा सकता है तो इतने भरी भरकम सांडों की क्या आवश्यकता ??? ये ज़माना तो भौतिकतावादी है सांड की उपयोगिता समाप्तप्राय है अब आप ही बताइये क्या भविष्य है बिचारे सांड पिता का ??
——ज्योत्स्ना सिंह !
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